प्रख्यात संगीतज्ञ और वायलिन वादक डॉ. एन. राजम आज अमर उजाला शब्द सम्मान के विजेताओं को अलंकृत करेंगी। इस अवसर पर एन. राजम अपनी बेटी और सुपरिचित वायलिन वादक संगीता शंकर और अपनी नातिन रागिनी शंकर के साथ विशेष संगीत प्रस्तुति भी देंगी। कार्यक्रम नोएडा के सेक्टर 125 स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी के सभागार में शाम 5:30 बजे से शुरू होगा। सर्वोच्च शब्द सम्मान 'आकाशदीप' हिंदी के प्रख्यात रचनाकार गोविंद मिश्र और गुजराती के विख्यात लेखक सितांशु यशश्चंद्र को दिया जाएगा।
अमर उजाला शब्द सम्मानPC: Amar Ujala
जिसने संवेदना के स्तर पर उद्वेलित किया, उन्ही पर लिखा
गोविंद मिश्र, प्रख्यात रचनाकार
जिसका जो अनुभव का क्षेत्र होता है, वह उस पर लिखता है। मुझे जिन चीजों ने संवेदना के स्तर पर उद्वेलित किया, मैंने केवल उन्हीं चीजों पर लिखा। सायास लेखन मुझसे न हो सका। इन दिनों साहित्य में चमत्कार करने वाले विषय, नए-नए शिल्प और चमत्कृत करने वाली भाषा का प्रयोग अधिक हो रहा है, पर विराटता और संवेदना की गहराई कम हुई है। समाज में भी बदलाव आया है। लोगों को कुछ भी प्रभावित नहीं करता। जिन लोगों पर आप अपने लिखे का असर देखना चाहते हैं, उनका मन आंदोलित नहीं होता, जबकि साहित्य सूक्ष्म है, जिसका असर तात्कालिक नहीं होता। हमने अपना धैर्य खो दिया है।
साहित्य के पास कोई जादू की छड़ी नहीं होती, पर समाज के स्तर पर वह उसे दिखाता है, जो समाज में अच्छा बचा है और व्यक्ति के तौर पर वह पाठक को आत्मबल देता है। लोग कहते हैं, साहित्य में भाषा की गिरावट हो गई है। मेरा मानना है कि भाषा की भावना महत्वपूर्ण है। वह असरकारी होती है। आज जो भाषा साहित्य में लिखी जा रही है, वह जटिल यथार्थ को पकड़ने वाली है। इसी कारण उसके आयाम अलग-अलग हैं। इसे मैं भाषा का विकास मानता हूं।
वैसे साहित्य और विमर्श, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। विमर्श को साहित्य के नाम पर नहीं चलाया जा सकता। विमर्श एक शॉर्टकट है, जबकि सर्जना का संबंध हृदय से होता है। किसी रचना में लेखक की संवेदना की तीव्रता और उसका खास ढंग से महसूस करना ही रचना को विशिष्ट बनाता है। सिर्फ यही निष्कर्ष है, जो साहित्य को दूसरे लेखन से अलग बनाता है।
अमर उजाला शब्द सम्मानPC: Amar Ujala
पाठकों के लिए नए-नए पाठों का आविष्कार जरूरी
सितांशु यशश्चंद्र, विख्यात कवि व नाटककार
कवि या लेखक एक पेड़ की तरह होता है। वैसे देखें तो पेड़ों, पत्तियों, कांटों और फूलों के कई अलग-अलग प्रकार, रंग और सुगंध हैं, लेकिन वे सभी अपनी जड़ों में एक जैसे हैं, जो मिट्टी में पानी की तलाश करते हैं और उसे पाते हैं। बरसों बीतते रहते हैं। जीवन की सघनता का भरपूर अहसास नया-नया होता रहता है। इतनी सारी नई-नई वेदना, इतना सारा अभिनव आनंद! निरा विस्मय और नि:संशय ज्ञान एकरूप बन जाता है। शांत रस में सभी अन्य रस ढलते जाते हैं। इसी बीच एक कविता लिखी जाती है।
गुजराती में एक लेखक के रूप में मैं गुजराती बोलने वाले लोगों के व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में, जहां मेरी जड़ें हैं, जितना गहराई से उतरता हूं, उतना ही यह मुझे भारत और अन्य जगहों पर दूर-दराज के लोगों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। जितना अधिक मैं गुजराती बनता हूं, अंतर्ज्ञान और कड़ी मेहनत के माध्यम से, उतना ही अधिक भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बनता हूं।
अगर समकालीन भारतीय साहित्य को अपनी संभावनाओं को तलाशना और साकार करना है तो दो तरह के परस्पर संबंधित काम करने होंगे- इसके साहित्यिक अतीत को जानना, समझना और उसकी आलोचना करना और हमारे समकालीन सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ को जानना, समझना और उसकी आलोचना करना। इन सबसे बढ़कर पाठकों के लिए नए-नए पाठों का आविष्कार करना और उनका आनंद लेना। मैं अक्सर महसूस करता हूं कि यदि हम ईमानदारी से काम करें और अपने अतीत से प्रश्न पूछें तो यह भारतीय पौराणिक कथाओं में वर्णित समुद्र मंथन की तरह हमें अमृत और विष प्रदान कर सकता है तथा हमें स्वयं की देखभाल करने में सक्षम बना सकता है।
आगे पढ़ें
5 hours ago
(Tagstotranslate) Amar Ujala Shabd Samman 2024 (T) Amar Ujala Shabd Samman (T) Akashdeep
Source link