Aaj ka Shabd Madhurima Mahadevi Verma Poem Madhur Bholepan Ka Sansar – Amar Ujala Kavya – Today’s word: Poem of Madhurima and Mahadevi Verma

Aaj ka Shabd Madhurima Mahadevi Verma Poem Madhur Bholepan Ka Sansar – Amar Ujala Kavya – Today’s word: Poem of Madhurima and Mahadevi Verma
                
                                                         
                            'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- मधुरिमा, जिसका अर्थ है- मधुरता, मिठास, सुन्दरता। प्रस्तुत है महादेवी वर्मा की कविता- मधुर भोलेपन का संसार !
                                                                 
                            

मधुरिमा के, मधु के अवतार
सुधा से, सुषमा से, छविमान,
आंसुओं में सहमे अभिराम
तारकों से हे मूक अजान!
सीख कर मुस्काने की बान
कहां आऎ हो कोमल प्राण!

स्निग्ध रजनी से लेकर हास
रूप से भर कर सारे अंग,
नये पल्लव का घूंघट डाल
अछूता ले अपना मकरंद,
ढूढं पाया कैसे यह देश?
स्वर्ग के हे मोहक संदेश!

रजत किरणों से नैन पखार
अनोखा ले सौरभ का भार,
छ्लकता लेकर मधु का कोष
चले आऎ एकाकी पार;
कहो क्या आऎ हो पथ भूल?
मंजु छोटे मुस्काते फूल!

उषा के छू आरक्त कपोल
किलक पडता तेरा उन्माद,
देख तारों के बुझते प्राण
न जाने क्या आ जाता याद?
हेरती है सौरभ की हाट
कहो किस निर्मोही की बाट?

चांदनी का शृंगार समेट
अधखुली आंखों की यह कोर,
लुटा अपना यौवन अनमोल
ताकती किस अतीत की ओर?
जानते हो यह अभिनव प्यार
किसी दिन होगा कारगार?

कौन है वह सम्मोहन राग
खींच लाया तुमको सुकुमार?
तुम्हें भेजा जिसने इस देश
कौन वह है निष्ठुर करतार?
हंसो पहनो कांटों के हार
मधुर भोलेपन का संसार!

10 hours ago

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