South Korea World News Updates; New York Mayor Donald Trump | US China Pakistan Breaking News | वर्ल्ड अपडेट्स: भारत से आए फोन कॉल ने बचाई थी शेख हसीना की जान, किताब में खुलासा

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5 दिन पहले

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पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान एक फोन कॉल ने बचाई थी। यह कॉल भारत से आया था। अगर 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 बजे यह कॉल न आता, तो हसीना प्रधानमंत्री निवास ‘गनभवन’ में भीड़ के हाथों मारी जातीं। उस वक्त भीड़ महज दो किलोमीटर दूर थी और सिर्फ 20 मिनट बाद गनभवन में घुस गई।

यह खुलासा एक आने वाली किताब ‘इंशाल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन’ में किया गया है। किताब दीप हल्दर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकोन ने लिखी है। इसे जगरनॉट पब्लिशर्स जारी करेगा।

उस दिन सुबह चार बजे से हसीना का दिन शुरू हुआ था। बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान, वायुसेना और नौसेना प्रमुख उन्हें समझाते रहे कि देश छोड़कर भारत चली जाएं। लेकिन हसीना जिद पर अड़ी रहीं।

उन्होंने कहा कि मरना मंजूर है, देश नहीं छोड़ूंगी। उनकी बहन शेख रेहाना और अमेरिका में रहने वाले बेटे सजीब वजीद ने भी फोन पर समझाया कि भारत चली जाएं, मगर हसीना नहीं मानीं।

फिर अचानक दोपहर 1:30 बजे एक फोन आया। कॉल करने वाला कोई अनजान नहीं था। किताब में उसे “भारत का एक टॉप अधिकारी” बताया गया है, जिसे हसीना अच्छी तरह जानती थीं। अधिकारी ने साफ कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है। तुरंत गनभवन छोड़े दीजिए, वरना मार दी जाओगी। पहले जिंदा रहो, फिर लड़ाई जारी रखना।

यह सीधी और सख्त बात हसीना को झकझोर गई। उन्होंने आधे घंटे तक सोचा और फिर फैसला लिया कि देश छोड़ देंगी। जाने से पहले उन्होंने एक भाषण रिकॉर्ड करना चाहा, लेकिन सेना प्रमुखों ने मना कर दिया। कहा कि भीड़ कभी भी अंदर घुस सकती है।

शेख रेहाना ने अपनी बहन को खींचकर एक SuB में बैठाया। दोनों के पास सिर्फ दो सूटकेस थे, जिनमें कपड़े भरे थे। दोपहर 2:23 बजे हेलिकॉप्टर गनभवन से उड़ा। 2:35 बजे यह तेजगांव एयरबेस पहुंचा। वहां से 2:42 बजे सी-170जे कार्गो प्लेन ने उड़ान भरी। करीब बीस मिनट बाद यह पश्चिम बंगाल के मालदा के ऊपर भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ।

शाम को प्लेन हिंडन एयरबेस पर उतरा। वहां भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हसीना का स्वागत किया और उन्हें दिल्ली में एक सीक्रेट जगह पर ले जाया गया।

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भारतीय मूल के स्वरंजीत सिंह अमेरिकी राज्य कनेक्टिकट में पहले सिख मेयर बनें

भारतीय मूल के डेमोक्रेट उम्मीदवार स्वरंजीत सिंह ने अमेरिका के कनेक्टिकट राज्य के नॉरविच शहर में मेयर का चुनाव जीत लिया। इसके साथ ही वे राज्य के पहले सिख मेयर बन गए हैं।

चुनाव में स्वरंजीत को 3,978 वोट (57.25%) मिले, जबकि उनकी रिपब्लिकन उम्मीदवार स्टेसी गूल्ड को 2,828 वोट (40.7%) हासिल हुए।

स्वरंजीत का परिवार 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद भारत से भागकर अमेरिका आया था। स्वरंजीत 2007 में अमेरिका पहुंचे, जहां उन्होंने ‘अमेरिकन ड्रीम’ और ‘आजादी की तलाश’ में नया जीवन शुरू किया।

वे रियल एस्टेट डेवलपर हैं और नॉरविच में एक गैस स्टेशन के मालिक भी हैं।

स्वरंजीत ने कहा है कि अमेरिका ने मुझे अपनाया है, इसलिए मैं समाज को लौटाना चाहता हूं। हमारी स्वतंत्रता को हिंसक अतिवाद से बचाना जरूरी है।

मेयर चुने जाने से पहले, स्वरंजीत सिटी काउंसिल के मेंबर रहे और उन्होंने नॉरविच बोर्ड ऑफ एजुकेशन, कमिशन ऑन द सिटी प्लान, इनलैंड वेटलैंड कमिशन, नॉरविच एरिया क्लर्जी एसोसिएशन और नॉरविच कम्युनिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में भी काम किया है।

स्वरंजीत ने कहा कि बेहतर अर्थव्यवस्था और मजबूत टैक्स बेस के साथ हम परिवारों पर टैक्स का बोझ घटाएंगे और बजट को ऐसी दिशा देंगे जो हमारे मूल्यों को दर्शाए।

डेनमार्क में 15 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर बैन

डेनमार्क सरकार ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर 15 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया यूज पर बैन लगाने का ऐलान किया। इसे लेकर डिजिटल मंत्रालय नियम बना रहा है।

हालांकि, कुछ माता-पिता खास जांच के बाद अपने 13 साल की उम्र तक के बच्चों को सोशल मीडिया यूज की इजाजत दे सकते हैं। यह यूरोपीय संघ के किसी देश की तरफ से अब तक का सबसे सख्त कदम होगा।

मंत्रालय ने बयान में कहा कि EU के पहले देश के तौर पर डेनमार्क अब सोशल मीडिया पर उम्र सीमा लागू करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। यह बच्चों और युवाओं को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रखने के लिए है।

सरकार ने कहा कि बच्चों को इस डिजिटल दुनिया में अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए, जहां हानिकारक कंटेंट और व्यावसायिक हित उनके रोजमर्रा के जीवन और बचपन को प्रभावित कर रहे हैं।

मंत्रालय ने आगे कहा कि बच्चों और युवाओं की नींद खराब हो रही है, शांति और एकाग्रता कम हो रही है और डिजिटल रिश्तों से दबाव बढ़ रहा है। यहां हमेशा बड़े मौजूद नहीं होते।

इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले साल 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का बिल पारित किया था।

बिल के मुताबिक, अगर एक्स, टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को अकाउंट रखने से रोकने में नाकाम रहते हैं, तो उन पर 275 करोड़ रुपए (32.5 मिलियन डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

अमेरिकी प्रस्ताव पर UN ने सीरियाई राष्ट्रपति पर लगे प्रतिबंध हटाए; चीन नाराज, कहा- ये राजनीतिक फायदे के लिए

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गुरुवार को सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा और उनकी सरकार के कई लोगों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए। यह फैसला तब हुआ जब राष्ट्रपति अल-शरा अगले हफ्ते अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं।

UNSC में यह प्रस्ताव अमेरिका ने रखा था। 15 में से 14 देशों ने हां में वोट दिया, लेकिन चीन वोटिंग से नदारद रहा। अमेरिकी राजदूत माइक वाल्ट्ज ने कहा कि इससे पता चलता है कि सीरिया नई शुरुआत कर रहा है, खासकर दिसंबर 2024 में बशर अल-असद के हटने के बाद।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सोमवार को अल-शरा का व्हाइट हाउस में स्वागत करेंगे। यह 1946 में सीरिया की आजादी के बाद किसी सीरियाई राष्ट्रपति की अमेरिका की पहली यात्रा होगी।

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने खुशी जताई और कहा कि यह राष्ट्रपति अल-शरा पर दुनिया के भरोसे और सीरिया की कूटनीति की जीत है।

हालांकि चीन ने इसे लेकर चिंता जताई है। चीनी राजदूत फू कोंग ने कहा कि अमेरिका का प्रस्ताव सभी की सुरक्षा चिंताओं को पूरा नहीं करता और यह “राजनीतिक फायदे के लिए है।

अमेरिका चाहता है कि सीरिया अब इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ 80 देशों वाले गठबंधन में शामिल हो। इससे दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होंगे।

अल-शरा पहले हयात तहरीर अल-शाम नाम के संगठन के नेता थे, जिसे अमेरिका ने आतंकवादी कहा था। अब वे अरब और पश्चिमी देशों से दोस्ती बढ़ा रहे हैं।

मई में ट्रम्प और अल-शरा की सऊदी अरब में मुलाकात हुई थी। वहां ट्रम्प ने पुरानी पाबंदियां हटाने का वादा किया था, लेकिन 2019 के सीजर एक्ट जैसे कड़े प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी चाहिए।

वेनेजुएला पर हमले रोकने वाला बिल अमेरिकी संसद में खारिज; ट्रम्प को संसद की मंजूरी जरूरी नहीं

अमेरिकी सांसद ने गुरुवार को एक बिल को 51-49 वोटों से खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को वेनेजुएला पर किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए संसद की मंजूरी लेना जरूरी होता।

अब, कानूनी रूप से ट्रम्प को वेनेजुएला के खिलाफ हमला शुरू करने के लिए तत्काल कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह प्रस्ताव 1973 के वॉर पावर्स रेजोल्यूशन के तहत सीधे हमलों को रोकने का प्रयास था। हालांकि, अमेरिकी संविधान के तहत जंग की घोषणा सिर्फ संसद ही कर सकती है।

सिर्फ दो रिपब्लिकन सांसदों ने डेमोक्रेट्स का साथ दिया। डेमोक्रेट सीनेटर टिम केन ने कहा, ‘संसद की मंजूरी के बिना हमला नहीं किया जाना चाहिए।’

यह वोटिंग अमेरिका के वेनेजुएला और कोलंबिया के तट पर जहाजों को निशाना बनाकर किए गए सैन्य हमलों के बीच हुआ है , जिनमें 65 लोग मारे गए हैं। अमेरिका का दावा है कि ये नावें ड्रग्स ले जा रही थीं, हालांकि, अमेरिकी सरकार ने इसका कोई सबूत नहीं दिया।

इस क्षेत्र में अमेरिका ने हजारों सैनिक, परमाणु पनडुब्बी और यूएसएस गेराल्ड फोर्ड पोत तैनात किया है। बी-52 बॉम्बर विमान भी वेनेजुएला तट के पास उड़ान भर चुके हैं।

ट्रम्प कई बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर ड्रग तस्करी का आरोप लगा चुके हैं। डेमोक्रेट सांसदों का कहना है कि ट्रम्प मादुरो सरकार को गिराने की तैयारी कर रहे हैं।

वहीं, यूगोव रिसर्च में यह भी सामने आया कि अमेरिका में 74 प्रतिशत लोगों का मानना ​​है कि अमेरिकी संविधान की आवश्यकताओं के अनुरूप, राष्ट्रपति को कांग्रेस की मंजूरी के बिना विदेशों में सैन्य हमले करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। जबकि, 18 प्रतिशत लोग युद्ध का समर्थन करते हैं।

अमेरिका ने 17वीं बार ड्रग तस्करों की वोट पर हमला किया, 3 की मौत

अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने गुरुवार को बताया कि कैरेबियन सागर में नशा तस्करी करने वाले एक और बोट पर हमला किया गया है। इस हमले में बोट पर मौजूद तीन लोगों की मौत हो गई।

हेगसेथ ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने अब तक कम से कम 17 बार हमले किए हैं। इनमें कुल मिलाकर कम से कम 69 लोगों की जान गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर हमले से जुड़ा 20 सेकंड का वीडियो भी पोस्ट किया।

बुधवार को हेगसेथ और विदेश मंत्री मारको रुबियो ने कुछ चुनिंदा संसदीय नेताओं को इस सैन्य अभियान के कानूनी आधार और रणनीति के बारे में जानकारी दी। रिपब्लिकन नेता या तो चुप रहे या अभियान पर भरोसा जताया, जबकि डेमोक्रेट्स ने मांग की कि कांग्रेस को इन हमलों के तरीके और कानूनी आधार की पूरी जानकारी दी जाए।

कजाकिस्तान अब्राहम अकॉर्ड्स में शामिल होगा, ट्रम्प ने आधिकारिक घोषणा की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि कजाकिस्तान आधिकारिक रूप से अब्राहम अकॉर्ड्स में शामिल हो रहा है। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में यह समझौते में शामिल होने वाला पहला देश होगा। यह कदम वेस्ट एशिया और सेंट्रल एशिया में अमेरिकी कूटनीति का नया चरण माना जा रहा है।

व्हाइट हाउस में मध्य एशियाई देशों के नेताओं के साथ डिनर के दौरान ट्रम्प ने कहा,

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कजाकिस्तान ने अब आधिकारिक तौर पर अब्राहम अकॉर्ड्स में शामिल होने की सहमति दे दी है। यह एक शानदार देश है और इसके शानदार नेता हैं।

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सोशल मीडिया पर ट्रम्प ने यह घोषणा कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त टोकेयेव और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद की। ट्रम्प ने इसे दुनिया में शांति और समृद्धि की दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि जल्द ही औपचारिक साइनिंग सेरेमनी की तारीख घोषित की जाएगी।

उन्होंने दावा किया कि कई और देश भी इस समझौते में शामिल होने के इच्छुक हैं। कजाकिस्तान और इजराइल के बीच पहले से ही राजनयिक संबंध हैं, लेकिन अब्राहम अकॉर्ड्स के बाद तकनीक, व्यापार और रक्षा सहयोग और मजबूत होने की उम्मीद है।

रूस में भारतीय छात्र की लाश डेम से मिली, 19 दिन से लापता था

रूस के ऊफा शहर में 19 दिन से लापता भारतीय छात्र अजीत सिंह चौधरी का शव एक डैम से बरामद हुआ है। 22 वर्षीय अजीत राजस्थान के अलवर जिले के कफानवाड़ा गांव के रहने वाले था। वह 2023 से बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS की पढ़ाई कर रहा था।

अजीत 19 अक्टूबर को अपने हॉस्टल से सुबह करीब 11 बजे यह कहकर निकले था कि वह दूध लेने जा रहा है। इसके बाद वह वापस नहीं लौटा। तलाशी के दौरान उसके कपड़े, मोबाइल फोन और जूते नदी किनारे मिले थे, लेकिन उनका पता नहीं चल सका।

गुरुवार को उसका शव व्हाइट नदी से जुड़े एक डैम में मिला। अलवर सारस डेयरी के चेयरमैन नितिन सांगवान ने इसकी पुष्टि की। छात्र के दोस्तों ने शव की पहचान कर ली है।

भारतीय दूतावास की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिवार को अजीत की मौत की जानकारी दे दी गई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह अलवर ने घटना को संदिग्ध बताया और कहा कि मामले की गंभीर जांच होनी चाहिए। उन्होंने विदेश मंत्री जयशंकर से छात्र का शव भारत लाने में मदद की अपील की।

ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन की विदेशी विंग ने भी जयशंकर से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने अब तक इस घटना पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

इजराइल ने लेबानान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमले किए

इजराइल ने गुरुवार को लेबनान के दक्षिणी हिस्से में हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर हवाई हमले किए। इजराइली सेना (IDF) का कहना है कि ये हमले इसलिए किए गए क्योंकि हिजबुल्लाह वहां अपने सैन्य ढांचे को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रहा था।

हमलों से पहले इजराइल ने लोगों को चेतावनी देकर टारगेट वाले इलाकों से हटने को कहा। इसके करीब एक घंटे बाद हिजबुल्लाह के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले शुरू हुए।

इसी दिन टायर क्षेत्र में हिजबुल्लाह की एक कंस्ट्रक्शन यूनिट पर ड्रोन हमला भी किया गया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत और तीन घायल हुए। IDF का कहना है कि यह यूनिट आतंकियों के लिए सैन्य ढांचे की दोबारा तैयारी में इस्तेमाल की जा रही थी, जो इजराइल-लेबानान समझौते का उल्लंघन है।

रूस ने पाकिस्तानी अखबार पर विदेशी एजेंडा चलाने का आरोप लगाया

रूस ने पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द फ्रंटियर पोस्ट पर आरोप लगाया है कि वह लगातार रूस के खिलाफ लेख छाप रहा है और पश्चिमी प्रचार को बढ़ावा दे रहा है।

इस्लामाबाद स्थित रूसी दूतावास ने X पर बयान जारी कर कहा कि इस अखबार का रुख खुले तौर पर रूस-विरोधी हो गया है और इसके कई लेख पश्चिमी देशों की भाषा दोहराते हैं। दूतावास ने कहा कि अखबार की ग्लोबल न्यूज सर्विस वॉशिंगटन से चलती है, इसलिए इसे “पाकिस्तानी” कहना भी मुश्किल है।

रूस का आरोप है कि अखबार अपनी अंतरराष्ट्रीय कवरेज में जानबूझकर रूस विरोधी विश्लेषकों के लेख चुनता है और रूस या उसकी नेतृत्व से जुड़ी कोई सकारात्मक या न्यूट्रल रिपोर्ट नहीं छापता।

दूतावास का कहना है कि प्रेस की आजादी का सम्मान है, लेकिन यह रिपोर्टिंग पत्रकारिता नहीं, बल्कि राजनीतिक एजेंडा लगती है।

रूस ने यह भी कहा कि अखबार ने 7 अक्टूबर 2025 को अफगानिस्तान पर हुई ‘मॉस्को फॉर्मेट’ बैठक की कोई खबर नहीं छापी, जबकि बाकी पाकिस्तानी मीडिया ने इसे कवर किया था।

इसे रूस ने अखबार की ‘पश्चिम समर्थक संपादकीय नीति’ का उदाहरण बताया। द फ्रंटियर पोस्ट की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

दक्षिण कोरिया में 60 मीटर ऊंचा टावर गिरा, 1 की मौत, 6 मजदूर मलबे में फंसे

दक्षिण कोरिया के उल्सान शहर में एक पुराना थर्मल पावर प्लांट गिराने के दौरान गुरुवार को 60 मीटर ऊंचा टावर अचानक ढह गया। हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि छह मजदूर मलबे में फंसे हैं। राहत टीम ने दो लोगों को सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन एक घायल की अस्पताल में मौत हो गई।

अधिकारियों के मुताबिक मलबा अस्थिर होने के कारण फिलहाल बचाव अभियान रोका गया है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्योंग ने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि पूरी ताकत से फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत कार्य तेज किया जाए।

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